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कालाबाजारी - लेखनी कविता -28-Feb-2022


जब उत्पादक और व्यापारी करते जमाखोरी
न होती आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध होती चोरी।

बाद में बाज़ार में बेचते इनको कर सीनाजोरी
यह भयावह स्थिति कहलाती है कालाबाजारी।

आर्थिक विषमता देती असमानता को बढ़ावा
इससे अनेक भ्रष्टाचारियों को मिले चढ़ावा।

कर की उच्च दर और जीवित रहने की लागत
मुद्रास्फीति, उत्पाद शुल्क ले आती है शामत।

कुछ सत्ताधारी भी निःसंदेह स्रोत बन गए इसका
घोटाले से जमा काला धन कब होता है किसका।

ब्लैक मार्केट ने इस कालाबाजारी को अपनाया
इस सुरसा ने अपना विकराल रूप और बढ़ाया।

शेयर बाजार भी कैसे रह जाते इस दौड़ में पीछे
कालाबाजारी का आकर्षण अपनी ओर खींचे।
 
कोई सरकारी अधिकारी लेता अवैध कमीशन
काले बाजार को मिलने लगा और भी राशन।

रिश्वतखोरी की भी चपेट में आए अनेक मानव
काले धन को लगा करने इकट्ठा बनकर दानव।

बनता चला गया यह देश की प्रगति में बाधक
दूर होगा तभी जब हम बनेंगे नियमों के साधक।

कर प्रणाली को बोझिल नहीं यथार्थवादी बनाएँ
साफ-सुथरा समाज बनाने हेतु हम कदम बढ़ाएँ।

योग्य अधिकारियों को ही होना चाहिए पदासीन
रिश्वत के बल पर मिले पदों को लेना होगा छीन।

समर्पण व ईमानदारी से अधिकारी करेंगे काम
गरीब जनता का प्रतिपल न उधेड़ा जाएगा चाम।

मूल्य नियंत्रण  नीति पर कार्य करना आवश्यक
इसका क्रियान्वयन सरकार को बनाएगी नायक।

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ होगी जब कड़ी कार्यवाही
तब कालाबाज़ारी भाग उठेगी करके त्राहि-त्राहि।

राजनेता, मशहूर हस्तियों को भी आगे आना होगा
करों के सही भुगतान से कालाबाज़ारी हटाना होगा।

जिस दिन हर व्यक्ति इसके विरुद्ध कदम उठाएगा
कालाबाज़ारी दूर भगाकर देश को आगे बढ़ाएगा।

गलत रास्ता अच्छा नहीं, समाज को समझाना होगा
हम सबको देश हित कालाबाज़ारी को मिटाना होगा।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

01-Mar-2022 06:36 PM

बहुत खूबसूरत

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Dr. Arpita Agrawal

01-Mar-2022 06:41 PM

तहे दिल से शुक्रिया सीमा जी

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Swati chourasia

01-Mar-2022 04:15 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Dr. Arpita Agrawal

01-Mar-2022 06:09 PM

Thanks a lot Swati ji

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Gunjan Kamal

01-Mar-2022 12:36 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Dr. Arpita Agrawal

01-Mar-2022 02:02 AM

शुक्रिया गुंजन जी

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